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Monday 21 September 2020

The Immortal Words of Jesus


 

'यीशु के अमर वचन'

ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने के लिए उनके विरोधी उन्हें गुलगुता नामक स्थान पर ले गए। वहाँ उन्हें सलीब पर टांग दिया गया तथा पिलातुस ने एक दोष पत्र जिस पर लिखा था 'यीशु नासरी यहूदियों का राजा' ईसा के क्रूस पर लगा दिया। इस समय दोपहर के लगभग 12 बजे थे, अपनी मृत्यु के पूर्व के तीन घंटों में यीशु मसीह ने क्रूस पर जो सात अमरवाणियाँ कही थीं उन पर चिंतन करना आज अत्यावश्यक है।

पहली वाणी : 'हे पिता इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।'


दूसरी वाणी : 'मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।'


तीसरी वाणी : 'हे नारी देख, तेरा पुत्र। देख, तेरी माता।'


चौथी वाणी : 'हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?'


पाँचवीं वाणी : 'मैं प्यासा हूँ'


छठी वाणी : 'पूरा हुआ।'


yeshu khrist

ND

पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु मसीह को जिस कार्य को करने पृथ्वी पर भेजा था, उसे उन्होंने पूर्ण किया। शैतान भी उन्हें पराजित नहीं कर सका। प्राणों की आहुति देकर उन्होंने अपने उद्देश्य को प्राप्त किया। हम सभी अपने जीवन को जीने का एक सही उद्देश्य बनाएँ तथा उसे प्राप्त करने का प्रयास करें।


सातवीं वाणी : 'हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।


अपना कर्तव्य पूरा कर यीशु इस संसार से बिदा होते हैं। उस समय अपराधी को कोड़े मारे जाते थे तथा दूसरी सजा सलीब पर टाँगने की थी। यीशु इन दोनों सजा को भुगतकर अपने पिता को अपनी आत्मा सौंपकर संसार से विदा होते हैं। 'हे पिता' उद्बोधन आत्मीयता का परिचायक है।


शुभ शुक्रवार के पावन दिवस पर इस विश्वशांति, आतंकवाद की समाप्ति तथा आपसी भाईचारे व प्रेम हेतु विशेष प्रार्थना करें।

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