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Thursday 4 April 2019

The fruit of the Holy Spirit

The fruit of the Holy Spirit .
पवित्र आत्मा के फल
जब हम गलातियों 5:22‭-‬23 मे वचन कों पढ़ते है तो वचन कहता है. पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम है.

ये पवित्र आत्मा के नऊ फल है. जो मसीह मे नए जन्म पाए हर एक व्यक्ति मे दिखने चाहिये यही उसके मसीह मे बदलाव का प्रमाण है.

अब हम पवित्र आत्मा के नऊ फल इस विषय कों देखेंगे हालाकि यह बहोत बड़ा विषय जो विस्तार से देखा जाता है पर हम इसका थोडा सा स्पष्टीकरण देखेंगे.
1) प्रेम - प्रेम ये परमेश्वर का दिव्य गुण है जिसका परमेश्वर का हमारे अन्दर होने का प्रमाण है.1 यूहन्ना 4:16 कुरन्थियो 13 

2) आनन्द - आनंद का अर्थ खुशी नही जो संसार मे देखी जाती है जो थोड़े देर तक हि सीमित रहती है पर आनंद खुशी ये गेहरा हर्ष है. फीलीपीयो 4:4

3) शान्ति - ये परमेश्वर की शान्ति है जो प्राणो कों पूर्ण रीति से संन्तुष्ट करती है ना की किसी चीजो के द्वारा जो संसार मे देखी जाती है. कूलूसियो 3:15

4) धीरज - एक स्वभाविक व्यक्ति असंयमी रहता है पर परमेश्वर के द्वारा तोड़ा गया व्यक्ति परमेश्वर के हर एक निर्णय मे कार्यो मे धीरज धरता है.

5) कृपा - दयालु ) यीशु मसीह अपनी कृपा के द्वारा पहेचाने जाते थे.

6) भलाई - उदारता का गुण मसीहीयो कों भले काम करने के प्रति प्रभावित करता है.

7) विश्वास - विश्वासयोग्य व्यक्ति हमेशा भरोसा रखनेवाला ओर भरोसेमंद होता है

8)नम्रता - एक नम्र व्यक्ति मे हमेशा घूस्से की कमी पायी जाती है , वो दीन होता है. 2 तीमोथी 2:25 

9) संयम - ( आत्म नियंत्रण) संयम से भरा व्यक्ति अपनी दिन भर के सारे व्यवहारो मे ओर सारी बातो मे नियंत्रित होता है.
- पवित्र आत्मा के फल शारीरिक कार्यो के विपरीत है. अगर कोई व्यक्ति पवित्र आत्मा के फल बिना अपने मसीही जीवन मे फल्वन्त हो रहा है तो ये फल्वन्ता उसे परमेश्वर की ओर से नही मिली है. 

यूहन्ना 12:24 मे वचन कहता है. मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है; परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
- पवित्र आत्मा के फल किसी व्यक्ति मे होना स्वभाविक चीजो के होने का प्रमाण नही. 
उदाहरण - घर, पैसा, अच्छी नौकरी या हर सांसरिक चीजो का  पर पवित्र आत्मा के फल किसी व्यक्ति मे होने का प्रमाण है की वो अपने भीतरी जीवन मे बदल रहा है. 

- एक स्वभाविक व्यक्ति कभी आत्मिक फल नही ला सकता. ओर ना हि एक आत्मिक व्यक्ति कभी शुरूवात मे स्वभाविक फल लाता है. 

- अगर किसी व्यक्ति मे पवित्र आत्मा के फल के बिना उसके जीवन मे फल्वन्ता है या आ रही है तो वो व्यक्ति आत्मिक नही. क्योंकि परमेश्वर का नियम है की वो सबसे पेहले भीतर से व्यक्ति कों बदलता है ओर फ़िर बाहर से उसे स्वभाविक रीति से आशीष देता है. 

- अगर कोई व्यक्ति बिना पवित्र आत्मा के फल आशीष पा रहा है तो वो आशीष उसे परमेश्वर की ओर से नही मिली है. 
यूहन्ना 15:2 मे वचन कहता है. जो डाली मुझ में है और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है; और जो फलती है, उसे वह छाँटता है ताकि और फले।ओर साथ साथ लूका 13:9 कहता है. यदि आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना’।”

- परमेश्वर मे फलना इसका ये अर्थ नही की हमारी फल्वन्ता हमे स्वभाविक रूप मे दिखाई दें नही हमारी फल्वन्ता इसमे है की हम हमारे भीतरी जीवन मे कितने मसीह के जैसे बदले है उसके स्वभाव, गुणो ओर कार्यो मे. 

- पवित्र आत्मा के फल हमेशा भीतरी जीवन कों बदलते है ना की स्वभाविक स्थर कों बदलते है. 

- हमारे मसीही मे बदलाव का एक हि प्रमाण है की हम आत्मिक स्थर मे फल लाए. 

- एक फलरहित व्यक्ति अपने आनन्द का जादा दिन तक लाभ नही ले सकता. फलहीन होना ओर परमेश्वर का अनुग्रह कभी दोनो एक साथ नही चल सकते.

- एक मसीही व्यक्ति मे पवित्र आत्मा के फल का होना ये सबूत है की वो अपने भीतरी जीवन मे मर चुका है वो क्रूस का जीवन जी रहा है. 
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- अगर हम अपने भीतरी जीवन मे मरते नही तो हमारे काम शरीर के द्वारा उत्त्पन्न हुए है आत्मा के द्वारा नही. 

- आज मसीह मे बहोत लोग फलरहित है वो इसलिए क्योंकि उन्होने अपने स्वार्थ कों क्रूस पर नही चढ़ाया है. 

- पवित्र आत्मा के फलों से भरा हुआ व्यक्ति हि परमेश्वर कों महिमा देता है ओर परमेश्वर की महिमा के लियें जीता है.

लुका 13:7 मे वचन कहता है. तब उस ने बारी के रखवाले से कहा, ‘देख, तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूँढ़ने आता हूँ, परन्तु नहीं पाता। इसे काट डाल कि यह भूमि को भी क्यों रोके रहे?’
- परमेश्वर हमारे जीवन मे आत्मिक फलो से कम दूसरे किसी चीजो से संन्तुष्ट नही होता. 
- परमेश्वर हममें आत्मा के फलों कों लगने की प्रतीक्षा करता है. याकूब 5:7 ओर यीशु मसीह भी हममें पवित्र आत्मा के सच्चे फल लगने के लियें धीरज धरता है ओर हमे मौका देता है.

- एक व्यक्ति स्वभाविक स्थर मे जल्दी फल लाता है पर आत्मिक स्थर मे पवित्र आत्मा के फल लगना ये जादा समय लेता है पर ये सर्वदा ठहरनेवाली आशीष है.

- एक व्यक्ति मे बिना पवित्र आत्मा के फल रहे अगर वो परमेश्वर की सेवा कर रहा है तो ये सेवा वो स्वयम की इच्छा ओर भावनाओ मे आकर कर रहा है क्योंकि वचनों के आधार पर परमेश्वर अपने सेवक कों सेवा मे बुलाने से पेहले उसे वो भीतर से तोड़ता है बदलता है क्रूस के जीवन के द्वारा पवित्र आत्मा के फल उत्त्पन्न करता है अपनी सेवा के लियें तैय्यार करता है पवित्र आत्मा की सामर्थ का अभिषेक देता है ओर फ़िर सेवा मे भेजता है. प्रेरितों 7:23-30 
ओर बिना पवित्र आत्मा के फल ओर सिर्फ वरदानों के द्वारा की गयी सेवकाई जादा दिन तक नही रेहती. क्योंकि बिना पवित्र आत्मा के फलों द्वारा की गयी सेवकाई एक सेवक कों भीतर से खोकला कर देती है. इसलिए एक सेवक कों सबसे पहले जरूरी है की वो पवित्र आत्मा के फलों से परिपूर्ण हो.

- पवित्र आत्मा के फल हि हमे मसीह के स्वभाव मे उसके स्वरूप मे बदलते है. ओर पवित्र आत्मा के फलों से भरा हुआ व्यक्ति हि परमेश्वर की महिमा करता है क्योंकि वो अभिषेक उसके भीतर से होकर बाहर बेह्ता है ओर लोगो के जीवनों कों बदलता है. 

अगर हम अपने जीवन के द्वारा परमेश्वर की महिमा करने की इच्छा रखते है तो सबसे पेहले हममे पवित्र आत्मा के फलों का होना आवश्यक है. बिना पवित्र आत्मा के फलों के हर आशीष या वरदान अधूरा है ओर परमेश्वर कों पूर्ण महिमा नही दें सकता. पवित्र आत्मा के फलों ओर वरदानों से भरा हुआ व्यक्ति हि परमेश्वर के राज्य की बेदारी कों लोगो मे लानेवाला ठहरता है.

God Bless You all

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