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Friday 2 November 2018

You are the salt of the earth तुम पृथ्वी के नमक हो

You are the salt of the earth तुम पृथ्वी के नमक हो

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प्रभु यीशु मसीह ने कहा कि तुम पृथ्वी के नमक हो परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड जाए तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा ? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इसके कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए ।
(मत्ती 5:13)
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🌼प्रभु ने हमें नमक क्यों कहा  आईए जाने नमक के गुणों के बारे में और इसकी खासियत के बारे में .....
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🌼परमेश्वर ने पुराने नियम में ये आज्ञा दी कि अपने सब अन्न बलियों को नमकीन बनाना और अपना कोई अन्न बलि अपने परमेश्वर के साथ बन्धी हुई वाचा के नमक के बिना न होने देना और अपने सब चढावों के साथ नमक भी चढाना ।

(लैव्यव्यवस्था 2:13) 
🌼पुराने समय में नमक दोस्ती,मदद,सन्धि और वफादारी का प्रतीक था ।
(एज्रा 4:14,7:22)
🌼नमक परमेश्वर की सदा के लिए अटल वाचा का प्रतीक था
(गिनती 18:19)
🌼परमेश्वर ने नमक वाली वाचा बाँधकर दाऊद को और उसके वंश को इस्राएल का राज्य सदा के लिए दे दिया है

(2 इतिहास 13:5)
🌼एलीशा नबी ने भी एक बार प्याले में नमक डाल कर पानी के उस सोते में मिला दिया जिसमें मौत और गर्भ गिराने की ताकत थी । एलीशा ने कहा यहोवा यूँ कहता है कि मैं यह पानी ठीक कर देता हूँ जिससे वह फिर कभी मौत या गर्भ गिरने का कारण न होगा ।
(2 राजा 2:19-22)
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नमक हमें क्या सिखाता है ?



अलगताई का जीवन
🌼समुन्द्र में से कुछ पानी को लेकर अलग किया जाता है फिर उसका नमक बन जाता है ठीक ऐसे ही यह संसार भी एक पाप का समुन्द्र है जो लोग इससे अलग हो जाते हैं वे जगत का नमक बन जाते हैं चेले अपना सब कुछ छोड़ कर प्रभु यीशु के साथ पहाड़ पर गए इसीलिए उनको नमक कहा गया सचमुच पहली सदी की कलीसिया जिनमें तीन हजार लोग थे वह भी नमक थे उन्होंने अपनी जमीन जायदाद सब कुछ बेच कर पूरा संसार छोड़ दिया और एक ही जगह प्रेरितों के साथ रहने लगे । (प्रेरितों के काम 2:44-46,4:34) बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड देती है (1कुरिन्थियों 15:33) इस पाप से भरे संसार की संगति से हमें  छुडाने के लिए ही प्रभु यीशु ने अपनी जान दे दी ।



(गलातियों 1:4)
आज हमें इस संसार की नहीं बल्कि प्रभु यीशु की संगति में अपना समय बिताना चाहिए ।
परमेश्वर सच्चा है जिसने तुमको अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह की संगति में बुलाया है
(1कुरिन्थियों 1:9) और जो कोई प्रभु यीशु की संगति में रहता है वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है ।
(1कुरिन्थियों 6:17)
प्रभु यीशु की संगति में ही इंसान नमक बन सकता है ।
नमक का सफेद रंग
🌼नमक का सफेद रंग पवित्रता को बताता है (प्रकाशितवाक्य 3:5) हमको भी पवित्र बनना है (1पतरस 1:15) क्योंकि बिना पवित्रता के कोई परमेश्वर को नहीं देख सकता (इब्रानियों 12:14) हमारा मन भी शुद्ध होना चाहिए तब ही हम परमेश्वर को देख सकते हैं । (मत्ती 5:8)
यीशु का लहू हमको सारे पापों से शुद्ध करके पवित्र बनाता है  💫पवित्र शब्द का अर्थ है💫                  💫संसार का नहीं ।💫


 प्रभु ने हमें पवित्र बनने के लिए संसार में से चुन लिया है ।
(यूहन्ना 15:16)
क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है कि तुम पवित्र बनो ।
(1थिस्सलुनीकियों 4:3)
नमक जरुरी है
🌼नमक के बगैर खाना बेस्वाद है आप मेहंगी से मेहंगी सब्जी देसी घी में बनाओ हजार रुपये किलो की लौंग, ईलायची, काली मिर्च डालो परन्तु नमक नहीं डाला तो खाना बेकार । अगर शादी में हजारों रुपये खर्च करके अच्छा खाना बनाया लेकिन अगर उसमें नमक नहीं है तो खाना बेकार हो जाएगा ।
ठीक नमक की तरह हम भी इस संसार के लिए बहुत ही जरुरी हैं । हम लोगों के उद्धार के लिए प्रार्थना करते हैं, खुशखबरी का संदेश सुनाते हैं, अगर हम यह काम नहीं करेंगे तो कौन करेगा ? इसलिए जैसे सब्जी के सही स्वाद के लिए नमक जरुरी है ठीक वैसे ही इस संसार को उद्धार का संदेश देने के लिए हम भी बहुत जरुरी हैं ।
नमक सस्ता होता है


🌼नमक बहुत जरुरी होने पर भी बहुत सस्ता होता है यदि हमारे घर में चीनी खत्म हो जाए या कोई भी चीज खत्म हो जाए तो हम पडौसी से लेकर उसे वापिस करते हैं परन्तु यदि पडौसी से नमक लिया तो उसे वापिस नहीं करते क्योंकि वह सस्ता होता है । नमक गरीब से गरीब और अमीर से अमीर के घर में मिलेगा । ठीक इसी तरह हम मसीह लोगों को भी सस्ता होना चाहिए हर  इंसान को हमारी जरुरत है ।
नमक घुलनशील होता है
🌼नमक जल्दी घुल जाता है वह अपनी हस्ती मिटा देता है । नमक खाने में स्वाद पैदा करता है लेकिन उसको ढूंढो तो मिलेगा नहीं हमें भी अपने आप को मिटा देना चाहिए । सारी महिमा सिर्फ प्रभु यीशु को मिलनी चाहिए, हम कुछ भी नहीं हैं । अनदेखे यीशु का स्वाद हमारे जीवनों से प्रकट होना चाहिए जैसे कि प्रेरित पौलुस कहता है कि अब मैं जिंदा नहीं बल्कि मसीह मुझमें जिंदा है । (गलातियों 2:20)
नमक प्यास बढाता है


🌼कोई भी नमकीन चीज खाने से प्यास लगती है ठीक इसी तरह जब एक बार लोग हम से मिलें तो उनके अंदर हमसे फिर मिलने की प्यास बढनी चाहिए
अगर कोई हमसे दोबारा मिलना नहीं चाहता इसका अर्थ साफ है कि हमारे जीवन में अभी नमक का स्वाद नहीं है । नमक का अर्थ है मेल मिलाप प्रभु यीशु ने कहा अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो ।
(मरकुस 9:50)
जिस किसी में नमक की तरह ये गुण नहीं हैं या वह अब तक नमक नहीं बना या उसका स्वाद जा चुका है वह प्रार्थना करे और वह प्रभु यीशु की संगति में लौट आए नहीं तो ऐसे लोगों के विषय में प्रभु यीशु ने कहा नमक तो अच्छा है, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड जाए तो वह किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा । वह न तो भूमि के और खाद के लिए काम में आता है उसे तो लोग बाहर फेंक देते हैं ठीक ऐसा ही न्याय के समय में भी होगा जिसके कान हो वह सुन ले ।
(लूका 14:34-35)

प्रभु यीशु ने कहा यदि कोई इस पृथ्वी पर रहते हुए पृथ्वी का नमक नहीं बन पाया तो वह जन नरक की आ

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